Sri RamCharitManas Tulsi Ramayan (Balkand) - Hindi book by - Goswami Tulsidas - श्रीरामचरितमानस अर्थात तुलसी रामायण (बालकाण्ड) - गोस्वामी तुलसीदास

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श्रीरामचरितमानस अर्थात तुलसी रामायण (बालकाण्ड)

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :0
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 9
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भारत की सर्वाधिक प्रचलित रामायण। प्रथम सोपान बालकाण्ड


पुष्पवाटिका-निरीक्षण, सीताजी का प्रथम दर्शन, श्रीसीतारामजी का परस्पर दर्शन



सकल सौच करि जाइ नहाए ।
नित्य निबाहि मुनिहि सिर नाए॥
समय जानि गुर आयसु पाई।
लेन प्रसून चले दोउ भाई॥


सब शौचक्रिया करके वे जाकर नहाये। फिर [सन्ध्या-अग्निहोत्रादि] नित्यकर्म समाप्त करके उन्होंने मुनिको मस्तक नवाया। [पूजाका] समय जानकर, गुरुकी आज्ञा पाकर दोनों भाई फूल लेने चले ॥१॥

भूप बागु बर देखेउ जाई।
जहँ बसंत रितु रही लोभाई॥
लागे बिटप मनोहर नाना ।
बरन बरन बर बेलि बिताना।

 
उन्होंने जाकर राजाका सुन्दर बाग देखा, जहाँ वसन्त-ऋतु लुभाकर रह गयी है। मनको लुभानेवाले अनेक वृक्ष लगे हैं। रंग-बिरंगी उत्तम लताओंके मण्डप छाये हुए हैं ॥ २॥

नव पल्लव फल सुमन सुहाए ।
निज संपति सुर रूख लजाए।
चातक कोकिल कीर चकोरा ।
कूजत बिहग नटत कल मोरा॥

नये पत्तों, फलों और फूलोंसे युक्त सुन्दर वृक्ष अपनी सम्पत्तिसे कल्पवृक्षको भी लजा रहे हैं। पपीहे, कोयल, तोते, चकोर आदि पक्षी मीठी बोली बोल रहे हैं और मोर सुन्दर नृत्य कर रहे हैं ॥ ३ ॥

मध्य बाग सरु सोह सुहावा ।
मनि सोपान बिचित्र बनावा ।।
बिमल सलिलु सरसिज बहुरंगा ।
जलखग कूजत गुंजत भंगा॥


बागके बीचोबीच सुहावना सरोवर सुशोभित है, जिसमें मणियोंकी सीढ़ियाँ विचित्र ढंगसे बनी हैं। उसका जल निर्मल है, जिसमें अनेक रंगोंके कमल खिले हुए हैं, जलके पक्षी कलरव कर रहे हैं और भ्रमर गुंजार कर रहे हैं ॥४॥

दो०- बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत।
परम रम्य आरामु यहु जो रामहि सुख देत॥२२७॥


बाग और सरोवरको देखकर प्रभु श्रीरामचन्द्रजी भाई लक्ष्मणसहित हर्षित हुए। यह बाग [वास्तवमें] परम रमणीय है, जो [जगतको सुख देनेवाले] श्रीरामचन्द्रजीको सुख दे रहा है ।। २२७॥


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