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लय  : पुं० [सं०√ली (मिलना)+अच्] १. एक पदार्थ का दूसरे में मिलकर उसमें पूरी तरह से समा जाना। अपनी सत्ता गवाँकर दूसरे में विलीन होना। विलय। २. एक पदार्थ का दूसरे पदार्थ के साथ मिलना या संश्लिष्ट होना। ३. कार्य के आगे कारण में समाविष्ट होना या फिर कारण के रूप में परिणत होना। ४. दार्शनिक क्षेत्र में, वह स्थिति जिसमें सृष्टि की सभी चीजों का समाप्त होकर अव्यक्त प्रकृति के रूप में परिणत या विलीन होना। प्रलय। ५. किसी पदार्थ का होनेवाला लोप या विनाश। ६. नियत समय तक किसी अधिकार या सुभीते का उपयोग न करने के कारण उस अधिकार या सुभीते के फलभोग से वंचित होने का भाव या स्थिति। (लैप्स) ७. चित्त की वृत्तियों को सब ओर से हटाकर एक ओर प्रवृत्त होना। एकाग्र भाव से किसी ध्यान में डूबना। ८. ठहराव। स्थिरता। ९. मूर्च्छा। बेहोशी। १॰. छिपना। लुकना। ११. पाटा जिससे खेत के ढेले तोड़कर मिट्टी बराबर करते हैं। (वैदिक) स्त्री० [सं० लय से लिंग-विपर्यय] १. कविता और संगीत में गति या प्रवाह और यति या विराम पर आश्रित वह तत्व जो नियमित रूप से होनेवाले उतार-चढ़ाव तथा आपेक्षिक पुनरावृत्तियों से उत्पन्न होता और कृतियों (कविता, पाठ, गायन, नृत्य आदि) में विशेष प्रकार की कोमलता, माधुर्य और लावण्य का आविर्भाव करता है। गति सामंजस्य। (रिदिम)। विशेष—तात्त्विक दृष्टि से इसका मुख्य संबं उस काल से है जो कविताओं, गीतों, मंत्रों आदि के स-स्वर उच्चारण में लगता है और इसी को नियंत्रित या संयत रखने के लिए संगीत में ताल से सहायता ली जाती है। २. शास्त्रीय संगीत में लगनेवाले समय के विचार से जल्दी, धीरे या सहज में गाने का ढंग या प्रकार जिसके ये तीन भेद कहे गये हैं।—विलंबित, मध्य और द्रुत। (दे० ये शब्द) ३. संगीत में स्वरों के उच्चारण की दृष्टि से गाने का प्रकार। जैसे—वह बहुत मधुर लय में गाता या बजाता है। मुहावरा—लय देखना=गाने-बजाने नाचने आदि में लय का ठीक और पूरा ध्यान रखना। स्त्री०=लौ (लगन) उदाहरण—मन ते सकल वासना भागी। केवल रामचरण लय लागी।—तुलसी। क्रि० प्र०—लाना।
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लय-लीन  : वि० =लव-लीन। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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लयक  : वि० [सं० लय] १. लय से संबंध रखनेवाला। २. संगीत की लय के रूप में अथवा उसके ढंग पर होनेवाला (रिदिमकल) जैसे—नाड़ी या हृदय का लयक स्पंदन।
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लयन  : पुं० [सं०√ली+ल्युट—अन] १. लय होने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. विश्राम। ३. शान्ति। ४. आड़ या आश्रय में होने की क्रिया या भाव। ५. आश्रय या विश्राम का स्थान।
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लयार्क  : पुं० [सं० लय-अर्क, मध्य० स०] प्रलय काल का सूर्य।
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लयिक  : वि० =लयक।
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