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फरहर  : वि० [सं० स्फार, प्रा० फार=अलग-अलग, अथवा फरहरा] १. जो एक में लिपटा या मिला हुआ न हो, अलग-अलग हो। जैसे—फरहर भात। २. साफ। स्पष्ट। ३. निर्मल। शुद्ध। ४. (मन) जिसमें उदासीनता, खेद आदि न हों। प्रफुल्लित। प्रसन्न। ५. चालाक। होशियार। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
फरहरना  : अ०, सं० [अनु० फरहर] १. =फरफराना। २. =फहराना।
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फरहरा  : पुं० [हिं० फहराना] १. कपड़े आदि का वह तिकोना या चौकोना टुकड़ा जिसे छड़ के सिरे पर लगाकर झंडी बनाते हैं और जो हवा के झोंके से उडता रहता है २. झंडा। पताका। वि०=फरहर (देखें) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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फरहराना  : अ०, स०=फरहरना।
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फरहरी  : स्त्री० [हिं० फल+हरा (प्रत्यय)] वृक्षों के फल या उन्हीं के वर्ग की और चीजें जो खायी जाती हों। फलहरी। वि० स्त्री० फलाहारी। उदाहरण—सुख करिआर फरहरी खाना।—जायसी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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