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प्रतिनिधि  : पुं० [सं० प्रति-नि√धा (धारण)+कि] १. प्रतिमा। प्रतिमूर्ति। २. वह व्यक्ति जो दूसरों की ओर से कहीं भेजा जाय अथवा उनकी तरफ से कार्य करता हो। अभिकर्ता। ३. संसद, विधान-सभा आदि का वह सदस्य जो किसी निर्वाचन-क्षेत्र से चुना गया हो, और जिसे उस क्षेत्र के लोगों की ओर से बोलने तथा काम करने का अधिकार होता है। ४. वह जिसे देखकर उसी के वर्ग, जाति आदि के औरों के स्वरूप रंग-ढंग, आचार-विचार आदि का अनुमान या कल्पना की जा सके। ५. वह जो अपने वर्ग के औरों की जगह काम आ सके। (रिप्रेजेंटेटिव; उक्त चारों अर्थों के लिए) ६. दे० ‘प्रतिनिधि द्रव्य’
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रतिनिधि-द्रव्य  : पुं० [सं० मध्य० स०] वैद्यक में, वह औषध जो किसी अन्य औषध के अभाव में दी जाती हो। जैसे—चित्रक के अभाव में दंती, तगर के अभाव में कुंठ, नखी के अभाव में लौंग दिया जाना।
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प्रतिनिधि-शासन  : पुं० [सं० ष० त०] वह शासन जिसमें विधान आदि बनाने और शासन की नीति आदि स्थिर करने के प्रायः सभी अधिकार जनता को चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथ में रहते हैं। (रिप्रेजेंटेटिव गवर्नमेंट)
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प्रतिनिधित्व  : पुं० [सं० प्रतिनिधि+त्व] प्रतिनिधि होने की अवस्था या भाव। प्रतिनिधि होने का काम। (रिप्रेजेंटेशन)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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