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शब्द का अर्थ

पीड़न  : पुं० [सं०√पीड+ल्युट्—अन] पीड़न। (दे०)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पीड़न  : पुं० [सं० पीडन से] [कर्ता, पीड़क, वि० पीड़नीय, भू० कृ० पीड़ित] १. व्यक्तियों के सम्बन्ध में, किसी को शारीरिक या मानसिक कष्ट पहुँचाना। तकलीफ देना। २. चीजों के संबंध में, जोर से कसना, दबाना या पीसना। ३. पेरना। ४. अच्छी तरह से या मजबूती से पकड़ना। ५. नष्ट करना। ६. ग्रहण। जैसे—ग्रह-पीड़न। ७. स्वरों के उच्चारण करने में होनेवाला एक तरह का दोष।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पीड़न  : पुं० [सं०√पीड+ल्युट्—अन] पीड़न। (दे०)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पीड़न  : पुं० [सं० पीडन से] [कर्ता, पीड़क, वि० पीड़नीय, भू० कृ० पीड़ित] १. व्यक्तियों के सम्बन्ध में, किसी को शारीरिक या मानसिक कष्ट पहुँचाना। तकलीफ देना। २. चीजों के संबंध में, जोर से कसना, दबाना या पीसना। ३. पेरना। ४. अच्छी तरह से या मजबूती से पकड़ना। ५. नष्ट करना। ६. ग्रहण। जैसे—ग्रह-पीड़न। ७. स्वरों के उच्चारण करने में होनेवाला एक तरह का दोष।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पीड़नीय  : वि० [सं० पीडनीय से] १. जिसका पीड़न हो सके या किया जाने को हो। २. जिसे कष्ट पहुँचाया या पहुँचाया जाने को हो। पुं० याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार ऐसा राजा या राज्य जो अच्छे मंत्री और उपयुक्त सेना से रहित हो और इसी लिए सहज में दबाकर अपने अधिकार में किया जा सकता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पीड़नीय  : वि० [सं० पीडनीय से] १. जिसका पीड़न हो सके या किया जाने को हो। २. जिसे कष्ट पहुँचाया या पहुँचाया जाने को हो। पुं० याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार ऐसा राजा या राज्य जो अच्छे मंत्री और उपयुक्त सेना से रहित हो और इसी लिए सहज में दबाकर अपने अधिकार में किया जा सकता है।
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