शब्द का अर्थ
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पहन :
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पुं० [फा०] वह दूध जो बच्चे को देखकर वात्सल्य भाव के कारण माँ की छातियों में भर आवे और टपकने लगे या टपकने को हो। पुं०=पाहन (पाषाण)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहन :
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पुं० [फा०] वह दूध जो बच्चे को देखकर वात्सल्य भाव के कारण माँ की छातियों में भर आवे और टपकने लगे या टपकने को हो। पुं०=पाहन (पाषाण)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनना :
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स० [सं० परिधान] (कपड़े, गहने आदि) शरीर पर धारण करना। परिधान करना। जैसे—कुरता या धोती पहनना; अँगूठी या हार पहनना; खड़ाऊँ, चप्पल या जूता पहनना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनना :
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स० [सं० परिधान] (कपड़े, गहने आदि) शरीर पर धारण करना। परिधान करना। जैसे—कुरता या धोती पहनना; अँगूठी या हार पहनना; खड़ाऊँ, चप्पल या जूता पहनना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनवाना :
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स० [हिं० ‘पहनना’ का प्रे०] १. किसी को कुछ पहनाने में प्रवृत्त करना। जैसे—नौकर से लड़के को कपड़े पहनवाना। २. किसी को कुछ पहनने के लिए विवश करना। (पहनाना से भिन्न)। जैसे—माता ने बच्चे को कुरता पहनवाकर छोड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनवाना :
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स० [हिं० ‘पहनना’ का प्रे०] १. किसी को कुछ पहनाने में प्रवृत्त करना। जैसे—नौकर से लड़के को कपड़े पहनवाना। २. किसी को कुछ पहनने के लिए विवश करना। (पहनाना से भिन्न)। जैसे—माता ने बच्चे को कुरता पहनवाकर छोड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
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पहना :
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पुं० [फा० पहन] वह दूध जो बच्चे को देखकर वात्सल्य भाव के कारण माँ के स्तनों में भर आया हो और टपकता-सा जान पड़े। पुं०=पनहा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहना :
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पुं० [फा० पहन] वह दूध जो बच्चे को देखकर वात्सल्य भाव के कारण माँ के स्तनों में भर आया हो और टपकता-सा जान पड़े। पुं०=पनहा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनाई :
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स्त्री० [हिं० पहनाना] १. पहनने की क्रिया, ढंग या भाव। जैसे—जरा आपकी पहनाई देखिये। २. पहनने या पहनाने के बदले में दिया या लिया जानेवाला पारिश्रमिक। स्त्री० [हिं० पाहन=पत्थर] १. पाहन या पत्थर होने की अवस्था या भाव। २. पाहन या पत्थर की-सी कठोरता, गुरुता या और कोई गुण। उदा०—पाहन ते न कठिन पहनाई।—तुलसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनाई :
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स्त्री० [हिं० पहनाना] १. पहनने की क्रिया, ढंग या भाव। जैसे—जरा आपकी पहनाई देखिये। २. पहनने या पहनाने के बदले में दिया या लिया जानेवाला पारिश्रमिक। स्त्री० [हिं० पाहन=पत्थर] १. पाहन या पत्थर होने की अवस्था या भाव। २. पाहन या पत्थर की-सी कठोरता, गुरुता या और कोई गुण। उदा०—पाहन ते न कठिन पहनाई।—तुलसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पहनाना :
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सं० [हिं० पहनना] १. दूसरे को अपने हाथों से कपड़े, गहने आदि धारण कराना। जैसे—कोट या जूता पहनाना। २. मारना-पीटना। (बाजारू) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनाना :
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सं० [हिं० पहनना] १. दूसरे को अपने हाथों से कपड़े, गहने आदि धारण कराना। जैसे—कोट या जूता पहनाना। २. मारना-पीटना। (बाजारू) |
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समानार्थी शब्द-
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पहनाव :
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पुं०=पहनावा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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पुं०=पहनावा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पहनावा :
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पुं० [हिं० पहनना] १. पहनने के कपड़े। पोशाक। २. किसी जाति, देश आदि के लोगों द्वारा सामान्यतः तन ढकने के उद्देश्य से पहने जानेवाले कपड़े। जैसे—अँगरेजों का पहनावा पैंट, कोट, कमीज तथा हैट है और भारतीयों का धोती, कुरता और टोपी है। ३. विशिष्ट आकार, प्रकार या रंग के वे कपड़े जो किसी विद्यालय, संस्था आदि के कर्मचारियों, विद्यार्थियों, सदस्यों आदि को पहनने पड़ते हों। जैसे—स्कूली पहनावा। |
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समानार्थी शब्द-
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पहनावा :
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पुं० [हिं० पहनना] १. पहनने के कपड़े। पोशाक। २. किसी जाति, देश आदि के लोगों द्वारा सामान्यतः तन ढकने के उद्देश्य से पहने जानेवाले कपड़े। जैसे—अँगरेजों का पहनावा पैंट, कोट, कमीज तथा हैट है और भारतीयों का धोती, कुरता और टोपी है। ३. विशिष्ट आकार, प्रकार या रंग के वे कपड़े जो किसी विद्यालय, संस्था आदि के कर्मचारियों, विद्यार्थियों, सदस्यों आदि को पहनने पड़ते हों। जैसे—स्कूली पहनावा। |
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