शब्द का अर्थ
|
परिमोष :
|
पुं० [सं० परि√मुष् (चोरी करना)+घञ्] १. चोरी। २. डाका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमोष :
|
पुं० [सं० परि√मुष् (चोरी करना)+घञ्] १. चोरी। २. डाका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमोषक :
|
पुं० [सं० परि√मुष्+ण्वुल्—अक] १. चोर। डाकू। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमोषक :
|
पुं० [सं० परि√मुष्+ण्वुल्—अक] १. चोर। डाकू। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमोषण :
|
पुं० [सं० परि√मुष्+ल्युट्—अन] चुराने या डाका डालने का काम। किसी को मूसना; अर्थात् उसका सब-कुछ ले लेना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमोषण :
|
पुं० [सं० परि√मुष्+ल्युट्—अन] चुराने या डाका डालने का काम। किसी को मूसना; अर्थात् उसका सब-कुछ ले लेना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमोषी (षिन्) :
|
पुं० [सं० परि√मुष्+णिनि] १. चोर। २. डाकू। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमोषी (षिन्) :
|
पुं० [सं० परि√मुष्+णिनि] १. चोर। २. डाकू। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |