शब्द का अर्थ
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नारद-पुराण :
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पुं० [सं० मध्य स०] १. अठारह पुराणों में से एक जिसमें सनकादिक ने नारद को संबोधन करके अनेक कथाएँ कही हैं और उपदेश दिए हैं। इसमें तीर्थों और व्रतों के माहात्मय बहुत अधिक हैं। २. एक-उपपुराण, जिसे बृहन्नारदीय भी कहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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