दरज/daraj

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दरज  : स्त्री० [फा० दर्ज़] १. वह पतला लंबा अवकाश जो दो चीजों को एक दूसरे से सटाने पर बीच में बच रहे या दिखाई दे। दरार। २. दीवार आदि ठोस रचनाओं के बीच में फटने के कारण उसमें टेढ़ी-सीधी रेखा के समान बननेवाला चिह्न जिसमें पानी समाता है। वि०=दर्ज (लिखा हुआ)।
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दरज-बंदी  : स्त्री० [हिं० दरज+फा० बंदी] दीवार आदि की दरजें बंद करने के लिए उसमें मसाला लगाना।
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दरजन  : पुं० [अं० डज़न] १. गिनती में बारह वस्तुओं का समूह। २. उक्त को एक इकाई मानकर चीजों की की जानेवाली गिनती। जैसे—चार दरजन संतरे (अर्थात् १२.४=४८ संतरे)। स्त्री०=दरजिन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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दरजा  : पुं० [अ० दर्जः] १. प्रतिष्ठा, महत्त्व या सम्मान का पद या स्थान। २. ऐसा स्थान जहाँ रहकर अधिकारपूर्वक किसी कर्त्तव्य का पालन या किसी प्रकार का प्रबंध आदि करना पड़े। ओहदा। पद। जैसे— अब तो उनका दरजा बढ़ गया है। ३. ऐसा वर्गीकरण या विभाजन जो गुण, योग्यता आदि की कमी, बेशी के विचार से किया गया हो अथवा जिसमें ऊँचे-नीचे, छोटे-बडे आदि का भाव निहित या सम्मिलित हो। श्रेणी। जैसे—यह पुस्तक हजार दरजे अच्छी (या बढ़कर) है। ४. पाठशालाओं, विद्यालयों आदि में उक्त दृष्टि से स्थिर किये हुए ऐसे विभाग जिनमें से प्रत्येक में समान योग्यता रखनेवाले या समान परीक्षा में उत्तीर्ण होनेवाले विद्यार्थियों को एक साथ और एक ही तरह की शिक्षा दी जाती है। श्रेणी। जैसे—इस विद्यालय में १॰ वें दरजे तक पढ़ाई होती है। मुहावरा—दरजा चढ़ाना=विद्यार्थी को परीक्षा में उत्तीर्ण होने अथवा योग्य समझे जाने के कारण आगे या बादवाले बड़े दरजे में पहुँचाना। ५. किसी रचना के अन्तर्गत सुभीते आदि के विचार से बनाये हुए खाने या किये हुए विभाग। जैसे—पाँच दरजोंवाली अलमारी, तीन दरजोंवाला संदूक। ६. धातु की बनी हुई चीजों की ढलाई में, कोई चीज ढालने का वह साँचा (फरमें से भिन्न) जो मौलिक या स्वतंत्र रूप से न बनाया गया हो, बल्कि फरमें से ढाली हुई चीज के अनुकरण और आधार पर तैयार किया गया हो। जैसे—ये मूर्तियाँ तो दरजे की ढली हुई है, हमें तो फरमे की ढली हुई मूर्तियाँ चाहिए। विशेष—जो चीजें मौलिक या स्वतंत्र रूप से नये बनाये हुए साँचे में (जिसे पारिभाषिक क्षेत्रों में ‘फरमा’ कहते हैं) ढली होती हैं, वे रचना-कौशल सफाई, सुंदरता आदि के विचार से अच्छी होती हैं। परंतु इस प्रकार ढली हुई चीज से अथवा उसके अनुकरण पर जो दूसरा साँचा बनाया जाता है वह ‘दरजा’ कहलाता है। दरजे की ढली हुई चीजें अपेक्षया घटिया या निम्न वर्ग की समझी जाती है।
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दरजावार  : अ० य० [अ०+फा०] क्रमशः एक दरजे या श्रेणी से दूसरे दरजे या श्रेणी में होते हुए। वि० जो दरजे या श्रेणियों के रूप में विभक्त हो। श्रेणीबद्ध।
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दरजिन  : स्त्री० [हिं० दरजी का स्त्री०] १. कपड़े सीने का काम करनेवाली स्त्री। २. दरजी की पत्नी। ३. दरजी जाति की स्त्री।
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दरजी  : पुं० [फा० दर्जी] [स्त्री० दरजिन] १. वह व्यक्ति जो दूसरों के कपड़े सीकर जीविका उपार्जित करता हो सूचिक। पद—दरजी की सूई=ऐसा आदमी जो कई प्रकार के काम कर सके या कई बातों में योग दे सके। २. कपड़ा सीने का काम करनेवाले लोगों की एक जाति। ३. एक प्रकार की चिड़िया जो अपना घोसला पत्ते सीकर बनाती है।
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