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ढेंक  : स्त्री० [सं० ढेक] लंबी गरदनवाला एक प्रकार का जलपक्षी।
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ढेंकली  : स्त्री० [हिं० ढेंक-लंबी गरदनवाली एक चिड़िया] १. चावल निकालने के लिए धान कूटने का एक प्रसिद्ध यंत्र जो लंबी मोटी लकड़ी का बना होता है और जो बार-बार पैर से दबाकर चलाया जाता है। ढेंकी। मुहावरा–(किसी को) ढेंकली में डालना=ऐसी अवस्था में रखना जिसमे बहुत कष्ट या संकट हो। २. सिंचाई आदि के लिए कूएँ से पानी निकालने का एक यंत्र जिसमें एक ढाँचे पर बँधे बाँस के सिरे पर पानी भरने के लिए कोई पात्र विशेषतः डोल बंधा रहता है। ३. कपड़े जोड़ने के लिए एक प्रकार की आड़ी सिलाई। क्रि० प्र०–खाना।
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ढेंकली  : स्त्री०=ढेंकली।
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ढेंका  : पुं० [हिं० ढेंक=पक्षी] १. कोल्हू में का वह बाँस जो जाट के सिरे से कतरी तक लगा रहता है। २. दे० ‘ढेंकली’।
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ढेंकिका  : स्त्री० [सं०] एक प्रकार का नृत्य।
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ढेंकिया  : स्त्री० [हिं० ढेंकी] सिलाई में, कपड़े काटने का एक ढंग या काट जिसके फलस्वरूप किसी कपड़े की लंबाई एक तिहाई घट जाती है और चौड़ाई एक तिहाई बढ़ जाती है।
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ढेंकी  : स्त्री० [सं०] नृत्य का एक प्रकार। स्त्री०=ढेंकली।
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ढेंकुर  : पुं० [स्त्री० ढेंकुरी] दे० ‘ढेकली’।
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ढेंकुला  : पुं=बड़ी ढेंकली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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ढेंकुली  : स्त्री०=ढेंकली।
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