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गृहस्थ  : पुं० [सं० गृह√Öस्था (ठहरना)+क] १. वह जो घर-वार बनाकर उसमें अपने परिवार और बाल-बच्चों के साथ रहता हो। पत्नी और बाल-बच्चों वाला आदमी। घरबारी। २. हिंदू धर्म-शास्त्रों के अनुसार वह जो ब्रह्मचर्य का पालन समाप्त और करके विवाह करके दूसरे आश्रम में प्रविष्ट हुआ हो। ज्येष्ठाश्रमी। ३. खेती-बारी आदि से जीविका चलानेवाला व्यक्ति। ४. जुलाहा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
गृहस्थाश्रम  : पुं० [सं० गृहस्थ-आश्रम, ष० त० ] हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार चार आश्रमों में से दूसरा आश्रम जिसमे लोग ब्रह्मचर्य के उपरांत विवाह करके प्रवेश करते थे और स्त्री-पुत्र आदि के साथ रहते और उनका पालन करते थे।
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गृहस्थाश्रमी (मिन्)  : पुं० [सं० गृहस्थाश्रम+इनि] गृहस्थाश्रम में रहनेवाला व्यक्ति।
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गृहस्थी  : स्त्री० [सं० गृहस्थ+हिं० ई (प्रत्य)] १. प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि से उसका घर,परिवार के सब लोग और उसमें रहनेवाली जीवन निर्वाह की सब सामग्री। घर-बार और बाल-बच्चे। २. घर का सब सामान। माल-असबाब। जैसे–इतनी बड़ी गृहस्थी उठाकर कहीं ले जाना सहज नहीं है। ३. खेती-बारी और उससे संबंध रखने वाला काम-धंधे। ४. गृहस्थाश्रम। ५. खेती-बारी।
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