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गाँस  : स्त्री० [हिं० गासना] १. तीर बरछी भाले आदि हथियारों का नुकीला फल। २. उक्त फलका अथवा किसी नुकीली वस्तु (जैसे–काँटा या सुई) का वह टुकड़ा जो टूटकर घाव के अन्दर रह गया हो और बहुत कष्ट देता हो। ३. किसी के प्रति मन में बैठा हुआ द्वेष या वैर जो बदला लेने की प्रेरणा करता हो। मनोमालिन्य। मुहावरा–(मन की) गाँस निकालना=शत्रु से बदला चुकाकर अपना मन शांत करना। ४. मन में खटकने या चुभनेवाली बात। उदाहरण–प्रीतम के उर बीच भये दुलही को विलास मनोज की गासी।–मतिराम। ५. कष्ट या पीड़ा देनेवाली कोई चीज या बात। ६. किसी प्रकार का बंधन या रुकावट। मुहावरा–(किसीको) गाँस में रखना=अपने अधिकार या वश में रखना। ७. दे० ‘गाँठ’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
गाँसना  : स० [हिं० गाँस] १. हिन्दी ‘गँसना’ का सकर्मक रूप। २. छेद करके दो चीजों को एक में मिलाते हुए अच्छी तरह फँसाना, लगाना या सटाना। ३. किसी चीज में गाँसी या नुकीली चीज गड़ाना या धँसाना। मुहावरा–(कोई बात मन में) गाँसकर रखना=कोई अप्रिय या खटकनेवाली बात अच्छी तरह मन में जमा या बैठाकर रखना। उदाहरण–तुम वह बात गाँसि करि राखी हम कौ गई भुलाई।–सूर। गाँसकहना=गाँसकर रखना। ४. अच्छी तरह बाँधकर या रोककर अपने अधिकार, नियंत्रण या शासन में रखना। ५. किसी चीज में कुछ ठूँस या भरकर रखना। ६. जहाज के पेंदें के छेदों में उन्हें बंद करने के लिए मसाला भरना। (लश०)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
गाँसी  : स्त्री०=गाँस।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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