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शब्द का अर्थ

कांचन  : पुं० [सं०√कांच् (दीप्ति)+ल्युट-अन] [वि० कांचनीय] १. सोना। स्वर्ण। २. धन-संपत्ति। ३. ऐश्वर्य। ४. कचनार। ५. चंपा। ६. नागकेसर। ७. गूलर। ८. धतूरा। वि० १. उत्तम। श्रेष्ठ। २. परम सुन्दर।
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कांचन-गिरि  : पुं० [ष० त०] सुमेरु पर्वत।
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कांचन-पुरुष  : पुं० [ष० त०] सोने की वह मूर्ति जो मृतक के श्राद्ध के समय शय्या पर रखकर दान की जाती है।
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कांचनक  : पुं० [सं० काँचन+कन्] १. हरताल। २. चंपा। (पौधा और फूल)।
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कांचनचंगा  : पुं० [सं० कांचनश्रृंग] नैपाल और शिकम के बीच में स्थित हिमालय की एक चोटी।
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कांचनार  : पुं० [सं० कांचन√ऋ(गति)+अण्] कचनार।
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कांचनी  : स्त्री० [सं० कांचन+ङीष्] १. हल्दी। २. गोरोचन। वि०=कांचनीय।
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कांचनी (ली)  : स्त्री० केंचुली।
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कांचनीय  : वि० [सं० कांचन+थ-ईय] १. सोने से या सोने का बना हुआ। कंचन या कांचन का। २. जिसने सोने की-सी आभा हो।
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