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उपेंद्रवज्रा  : स्त्री० [सं० उप-इन्द्रवज्रा, अत्या० स०] ग्यारह वर्णों का एक छन्द, जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः जगण, तगण, जगण और अंत में दो गुरु होते हैं। जैसे—चला गया जीवित लोक सारा, बनी अजीवा-सम शून्य जीवा। पुनः वहाँ कौरवो-पांडवों की पड़ी सुनाई रण घोषणायें।—अंगराज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपेंद्रवज्रा  : स्त्री० [सं० उप-इन्द्रवज्रा, अत्या० स०] ग्यारह वर्णों का एक छन्द, जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः जगण, तगण, जगण और अंत में दो गुरु होते हैं। जैसे—चला गया जीवित लोक सारा, बनी अजीवा-सम शून्य जीवा। पुनः वहाँ कौरवो-पांडवों की पड़ी सुनाई रण घोषणायें।—अंगराज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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