शब्द का अर्थ
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उत्तान :
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वि० [सं० उत्-तान, ब० स०] १. फैला या फैलाया हुआ। २. पीठ के बल लेटा या चित्त पड़ा हुआ। ३. जिसका मुँह ऊपर की ओर हो। ऊर्ध्व मुख। ४. जो उलटा होकर सीधा हो। ५. आवरण से रहित, अर्थात् बिलकुल खुला हुआ और स्पष्ट। नग्न। जैसे—उत्तान श्रृंगार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तान :
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वि० [सं० उत्-तान, ब० स०] १. फैला या फैलाया हुआ। २. पीठ के बल लेटा या चित्त पड़ा हुआ। ३. जिसका मुँह ऊपर की ओर हो। ऊर्ध्व मुख। ४. जो उलटा होकर सीधा हो। ५. आवरण से रहित, अर्थात् बिलकुल खुला हुआ और स्पष्ट। नग्न। जैसे—उत्तान श्रृंगार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तान-पाद :
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पुं० [ब० स०] भक्त ध्रुव के पिता का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तान-पाद :
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पुं० [ब० स०] भक्त ध्रुव के पिता का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तान-हृदय :
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वि० [ब० स०] १. जिसके हृदय में छल-कपट न हो। सरल हृदय। २. उदार और सज्जन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तान-हृदय :
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वि० [ब० स०] १. जिसके हृदय में छल-कपट न हो। सरल हृदय। २. उदार और सज्जन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तानक :
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पुं० [सं० उद्√तन् (फैलना)+ण्वुल्-अक] उच्चटा नाम की घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तानक :
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पुं० [सं० उद्√तन् (फैलना)+ण्वुल्-अक] उच्चटा नाम की घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तानित :
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भू० कृ० [सं० उद्√तन्+णिच्+क्त] १. ऊपर उठाया या फैलाया हुआ। २. जिसका मुख ऊपर की ओर हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तानित :
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भू० कृ० [सं० उद्√तन्+णिच्+क्त] १. ऊपर उठाया या फैलाया हुआ। २. जिसका मुख ऊपर की ओर हो। |
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समानार्थी शब्द-
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