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उछलना  : अ० [सं० उच्छलन, पं० उच्छलना, गुं० उचलगूँ, सिं० उछलणुँ] १. किसी ऊँचे स्थान पर पहुँचने के लिए पैरों के आधार पर अपने स्थान से सहसा और वेगपूर्वक ऊपर की ओर उठना या बढ़ना। जैसे—सिपाही का उछलकर घोड़े पर चढ़ना, बंदर का उछलकर छत पर पहुँचना। २. झटका या धक्का लगने पर कुछ वेगपूर्वक ऊपर उठना। जैसे—तेज हवा में नदी का पानी उछलना, लेकर चलने के समय बाल्टी या लोटे का दूध उछलना, पुल या पेड़ से टकराने के कारण गाड़ी का उछलकर गड्डे में जा गिरना। ३. सहसा चकित विशेष प्रसन्न होने की दशा में अथवा आवेग आदि के कारण शरीर या उसके कुछ अंगों का आधार पर से हिलकर कुछ ऊपर उठना। जैसे—(क) कमरे में साँप देखकर या मित्र के आने का समाचार सुनकर वह उछल पड़ा। (ख) पिता या माता के देखते ही बच्चे उछलने लगते हैं। ४. बार-बार या रह-रहकर ऊपर या सामने आना। जैसे—तुम लाख छिपाओ पर तुम्हारीं करतूत उछलती रहेगी। ५. चिन्ह या लक्षण दृष्टिगत या प्रत्यक्ष होना। सामने आना। उदाहरण—लागे नख उछरै रंगधारी।—जायसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उछलना  : अ० [सं० उच्छलन, पं० उच्छलना, गुं० उचलगूँ, सिं० उछलणुँ] १. किसी ऊँचे स्थान पर पहुँचने के लिए पैरों के आधार पर अपने स्थान से सहसा और वेगपूर्वक ऊपर की ओर उठना या बढ़ना। जैसे—सिपाही का उछलकर घोड़े पर चढ़ना, बंदर का उछलकर छत पर पहुँचना। २. झटका या धक्का लगने पर कुछ वेगपूर्वक ऊपर उठना। जैसे—तेज हवा में नदी का पानी उछलना, लेकर चलने के समय बाल्टी या लोटे का दूध उछलना, पुल या पेड़ से टकराने के कारण गाड़ी का उछलकर गड्डे में जा गिरना। ३. सहसा चकित विशेष प्रसन्न होने की दशा में अथवा आवेग आदि के कारण शरीर या उसके कुछ अंगों का आधार पर से हिलकर कुछ ऊपर उठना। जैसे—(क) कमरे में साँप देखकर या मित्र के आने का समाचार सुनकर वह उछल पड़ा। (ख) पिता या माता के देखते ही बच्चे उछलने लगते हैं। ४. बार-बार या रह-रहकर ऊपर या सामने आना। जैसे—तुम लाख छिपाओ पर तुम्हारीं करतूत उछलती रहेगी। ५. चिन्ह या लक्षण दृष्टिगत या प्रत्यक्ष होना। सामने आना। उदाहरण—लागे नख उछरै रंगधारी।—जायसी।
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