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शब्द का अर्थ

आरंभ  : पुं० [सं० आ√रभ् (शब्द)+घञ्,मुम्] १. किसी काम में हाथ लगाना। शुरू करना। (कमन्समेण्ट) २. वह अवस्था जिसमें कोई कार्य पहले या शुरू होने के समय रहता है। आदि का अंश या भाग। (बिंगनिंग) ३. किसी चीज या बात की उत्पत्ति या उसका स्थान। ४. ठाट-बाट। शान शौकत। ५. परिश्रम। ६. व्यायाम।
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आरंभ-शूर  : पुं० [सं० त०] [भाव आरंभ शूरता] वह जो किसी कार्य के केवल आरंभ में बहुत अधिक उत्साह या तत्परता दिखलाता हो और कुछ समय बाद उदासीन या शिथिल हो जाता हो।
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आरंभक  : वि० [सं० आ√रभ्+ण्वुल्-अक, मुम्] आरंभ या शुरू करनेवाला।
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आरंभण  : पुं० [सं० आ√रभ्+ल्युट्-अन, मुम्] [भू० कृ० अरंभित आरब्ध] १. आरंभ करने या आरंभ होने की क्रिया या भाव। २. अपने अधिकार या कब्जे में करना।
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आरंभतः  : अव्य० [सं० आरंभ+तस्] १. आरंभ या शुरू से। २. बिलकुल नये सिरे से।
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आरंभनाद  : अ० [सं० आरंभण] आरंभ या शुरू होना। स० कोई काम आरंभ या शुरू करना। काम में हाथ लगाना।
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आरंभवाद  : पुं० [सं० ष० त०] न्यायशास्त्र का एक सिद्धांत जिसके अनुसार सृष्टि का आरंभ और रचना ईश्वर की इच्छा से परमाणुओं के योग से हुई है।
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आरंभिक  : वि० [सं० आरंभ+ठक्-इक] १. आरंभ से संबंध रखनेवाला। पहले का। २. कोई काम करने से पहले उसकी तैयारी, व्यवस्था आदि से संबंध रखनेवाला। ३. बिलकुल आरंभ की अवस्था में होनेवाला। (एलिमेन्टरी)
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आरंभी (मिन्)  : वि० [सं० आरंभ+इनि] १. आरंभ करनेवाला। २. नये सिरे या ढंग से और विशेष उत्साहपूर्वक कोई जोखिम का नया काम करने या योजना चलानेवाला। (एन्टरप्राइजिंग)
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