शब्द का अर्थ
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आँत :
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स्त्री० [सं० अन्त्र, प्रा० गु० अंतर, सिं० अंदरू, पं० आँदराँ] आमाशय के अंदर की वह लंबी नली जो प्राणियों की नाभि से गुदा तक गई है तथा जिससे होकर मन बाहर निकलता है। अँतड़ी। लाद। (इन्टेस्टाइन्स) मुहावरा—आंत उतरना=एक रोग जिसमें आँत ढीली होकर अँडकोश में उतर आती और बहुत कष्ट देती है। आँतें कुलकुलाना=बहुत भूख लगने के कारण व्याकुल होना। आँते मुँह में आना=संकट में पड़ने के कारण बहुत अधिक कष्ट होना। आँते गले में आना—कष्ट या विपत्ति से बहुत अधिक दुःखी तथा व्यग्र होना। आँते समेटना=बहुत अधिक भूख लगने पर भी उसे दबाये रखना। आँतों का बल खुलना—बहुत समय तक भूखे रहने के बाद जी भर के भोजन करना। आँतो में बल पड़ना=पेट में दर्द होना। उदाहरण—हँसते-हँसते आँतो में बल पड़ने लगा। |
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समानार्थी शब्द-
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आँत कट्टू :
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पुं० पशुओं का एक रोग जिसमें उन्हें पतले दस्त आते है। |
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आँतर :
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पुं० [सं० अन्तर-भीतर] १. अंतर। भद। २. दूरी। ३. खेत का वह भाग जो किसी निश्चित समय में या एक बार जोता जाए। ४. पान के भीटे में क्यारियों के बीच का रास्ता। ५. कपड़े के तानों में दोनों सिरों की खूटियों के बीच साँथी अलग करने के लिए थोड़ी-थोड़ी दूर पर गाड़ी जानेवाली लकड़ियाँ। (जुलाहे)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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आँतर :
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वि० [सं० अंतर्+अण] १. अंदर का। भीतरी। २. किसी क्षेत्र या सीमा के अंदर होने या उससे संबंध रखनेवाला। ३. किसी वस्तु व्यक्ति आदि के निजी गुण महत्त्व विशेषता आदि से संबंध रखनेवाला। (इँट्रिडिंक) जैसे—आंतर मूल्य। (अंकित मूल्य से भिन्न) (इंट्रिजिंक वैल्यू) |
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आंतरागारिक :
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वि० [सं० अन्तरागार+ठक्-इक] घर के भीतरी भाग, विशेषतः अंतपुर से संबंध रखनेवाला। पुं० १. भंडारी। २. कोषाध्यक्ष। |
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आंतरिक :
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वि० [सं० अंतर+ठक्-इक] १. अंदर का। भीतरी। २. किसी देश की घरेलू या भीतरी बातों से संबंध रखनेवाला। जैसे—आंतरिक नीति या आंतरिक व्यवस्था। (इन्टर्नल) ३. किसी निश्चित क्षेत्र या सीमा में होनेवाला। ४. अंतःकरण से होनेवाला। सच्चा। वास्तविक। जैसे—आंतरिक वेदना। |
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आंतरिक्ष :
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वि० [सं० अन्तरिक्ष+अण्] अंतरिक्ष संबंधी। |
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आंतर्गेहिक :
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वि० [सं० अनतर्गेह+ठक्-इक]=आंतरागारिक। |
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आंतर्वेश्मिक :
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वि० [सं० अन्तर्वेस्म+ठक्-इक]=आँतरागारिक। |
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आँतिक :
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वि० [सं० अंत+ठक्-इक] [भाव० अंतिकता, आँतिक्य] जो किसी के अंत में या समाप्ति पर हो तथा उसकी पूर्णता विस्तार या वृद्धि की सीमा का सूचक हो। (टरमिनल) जैसे—आंतिक कर आंतिक परीक्षा आदि। |
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आंतिक-हेतु :
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पुं० [सं० कर्म०स०] यह दार्शनिक सिद्धांत कि सृष्टि की रचना एक विशिष्ट उद्देश्य से और पूरी योजना के अनुसार हुई है। |
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आंतिका :
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स्त्री० [सं० अन्तिका+अण्-टाप्] बड़ी बहन। |
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आंतिक्य :
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पुं० [हिं० आंतिक+ण्यत्] आंतिक होने की अवस्था, गुण या भाव। आँतिकता। |
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आंत्र :
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वि० [सं० अन्त्र+अण्] आँत-संबंधी। पुं० आँत। |
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आंत्रिक :
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वि० [सं० अन्त्र+ठञ्-इक] आँतो में होनेवाला। आँत-संबंधी। जैसे—आंत्रिक रोग। |
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आंत्रिक-ज्वर :
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पुं० [सं० कर्म० स०] एक प्रकार का विकट और प्रायः घातक ज्वर जो आँतों में विकार होने से उत्पन्न होता है और प्रायः तीन-चार सप्ताह तक निरंतर बना रहता है। (टाइफ़ॉयड) |
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