शब्द का अर्थ
|
स्वभावोक्ति :
|
स्त्री० [सं०] साहित्य में एक प्रकार का अलंकार जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति की स्वभाविक क्रियाओं,गुणों विशेषताओं आदि का ठीक उसी रूप में वर्णन किया जाता है जिस रूप में वे कवि को दिखाई देती है। यथा–बिहँसति सी दिये कुच आँचर बिच बाँह। भीजे पट तट को चली न्हान सरोवर माँह।–बिहारी। विशेष–इसमें किसी जातिवाचक पदार्थ के स्वाभाविक गुणों का वर्णन होता है,इसीलिए कुछ लोग इस अलंकार को जाति भी कहते हैं। कुछ आचार्यों ने इसके सहज और प्रतिज्ञाबद्ध नाम के दो भेद भी माने हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|