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सुधर  : पुं० [सं०] १.जैनों के एक अर्हत। २. बया पक्षी (डि०)।
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सुधरना  : अ० [हि० सुधारना] १. खराब होने या बिगड़ी हुई चीज का मरम्मत आदि होने पर ठीक होना। त्रुटि, दोष आदि का दूर होना। जैसे—हालत सुधरना। २. व्यक्ति के संबंध में अच्छे आचरणों की ओर प्रवृत्त होना तथा बुरे आचरणों की पुनरावृत्ति न करना। जैसे—लड़के का सुधरना।
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सुधरपन  : पुं०=सुघड़पन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सुधरमा  : वि० स्त्री०=सुधर्मा।
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सुधराई  : स्त्री० [हि० सुधरना+आई (प्रत्यय)] सुधरने की क्रिया, भाव या मजदूरी।
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सुधर्मा  : वि० [सं० सुधर्मन्] अपने धर्म पर दृढ रहनेवाला। धर्म-परायण। पुं० १. कुटुब से युक्त व्यक्ति। गृहस्थ। २. क्षत्रिय। ३. जैनों के एक गणाधिप। स्त्री० देवताओं की सभा। देव-सभा।
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सुधर्मी (र्मि्न्)  : वि० [सं०] धर्मपरायण। धर्मनिष्ठ। स्त्री० देवताओं की सभा।
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सुधर्म् (न्)  : वि० [सं०] धर्मपरायण। धर्मात्मा। पुं० [सं०] १. अच्छा और उत्तम धर्म। २. जैन तीर्थकर महावीर के दस शिष्यों में से एक।
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