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शब्द का अर्थ

वेत्र  : पुं० [सं०√वी+त्र] १. बेंत। २. द्वारपाल के पास रहनेवाला डंडा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
वेत्र-गंगा  : स्त्री० [सं० मध्यम० स०] हिमालय से निकली हुई एक नदी।
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वेत्रक  : पुं० [सं० वेत्र+कन्] रामसर। सरपत।
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वेत्रकार  : पुं० [सं० वेत्र√कृ (करना)+अण्] वह जो बेंत के सामान बनाता हो।
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वेत्रकूट  : पुं० [सं० मध्यम० स०] पुराणानुसार हिमालय की एक चोटी।
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वेत्रधर  : पुं० [सं० वेत्र√धृ (रखना)+अच्, ष० त०] १. द्वारपाल। संतरी। २. चोबदार। ३. लठैत।
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वेत्रवती  : स्त्री० [सं० वेत्र+मतुप, म—व,+ङीष्] वेतवा नदी।
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वेत्रहा (हन्)  : पुं० [सं० वेत्र√हन् (मारना)+क्विप्] इंद्र।
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वेत्रासन  : पुं० [सं० ष० त०] बेंत का बुना हुआ आसन।
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वेत्रासुर  : पुं० [सं० मध्यम० स०] एक असुर जिसका वध इन्द्र ने किया था।
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वेत्रिक  : पुं० [सं० वेत्र+ठक्-इक] १. एक जनपद। २. उक्त जनपद का निवासी। ३. चोबदार।
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वेत्री  : पुं० [सं० वेत्र+इनि, वेत्रिन्] १. द्वारपाल। संतरी। २. चोबदार।
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