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शब्द का अर्थ

विशेष्य  : पुं० [सं० वि√शिष्+ण्यत्] व्याकरण में वह शब्द अथवा पद जिसकी विशेषता कोई विशेषण या विशेषण पद सूचित करता या कर रहा हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
विशेष्य-लिंग  : पुं० [सं०] व्याकरण में ऐसा शब्द जिसका लिंग उसके विशेष्य के लिंग के अनुसार निरूपित हो। जैसे—पाले या हिम के अर्थ में शिशिर शब्द पुं० है शीत काल के अर्थ में पुन्नपुंसक तथा शीत से युक्त पदार्थ के अर्थ में विशेष्य लिंग होता है। अर्थात् उसका वहीं लिंग होता है, जो उसके विशेष्य का होता है।
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विशेष्यासिद्ध  : स्त्री० [सं० विशेष्य+असिद्धि, तृ० त०] तर्कशास्त्र में ऐसा हेत्वाभाव जिसके द्वारा स्वरूप की असिद्धि हो।
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