शब्द का अर्थ
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वंक :
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वि० [सं०√वंक् (टेढ़ा होना)+अच् (कर्तरि)] १. टेढ़ा। वक्र। २. कुटिल। पुं० [√वंक्+घञ्] नदी का मोड़। वंकर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
वंक-नाल :
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पुं०=वंकनाली। |
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वंक-नाली :
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स्त्री० [सं० कर्म० स०] सुषुम्ना (नाड़ी)। |
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वंकट :
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वि० [सं० वंक्] १. टेढ़ा। बाँका। २. कुटिल। ३. दुर्गम। विकट। |
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वंकर :
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पुं० [सं० वंक्√रा (लेना)+क] नदी का घुमाव या मोड़। |
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वंका :
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स्त्री० [सं० वंक+टाप्] चारजामे (जीन) के अगले हिस्से का ऊँचा उठा हुआ किनारा। |
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वंका :
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स्त्री०=वंक्रि। |
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वंकाला :
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स्त्री० [सं०] प्राचीन वंग देश की राजधानी का नाम। (बंगाली इसी का अपभंश रूप है।) |
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वंकिम :
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वि० [सं० वंक+इमनिच्] आकार, रचना आदि के विचार से कुछ झुका हुआ या टेढ़ा। पुं० आवारा आदमी। |
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वंकिल :
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पुं० [सं०√वंक्+इनच्] कंटक। काँटा। |
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वंक्रि :
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स्त्री० [सं०√वंक्+क्रिन्] १. पशु विशेषतः मादा पशु की पसली की हड्डी। २. कोड़ा। ३. प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा। |
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वंक्षण :
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पुं० [सं० वंक्ष् (इकट्ठा होना)+ल्यु-अन] पेड़ और जाँघ के बीच का अंश। |
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वंक्षु :
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स्त्री० [सं०√वंक्+कुन्,नुम्] आधुनिक आक्सन नदी का पुराना नाम। |
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