शब्द का अर्थ
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लब्ध :
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भू० कृ० [सं०√लभ् (पाना)+क्त] १. मिला या प्राप्त किया हुआ। २. उपार्जित किया या कमाया हुआ। ३. भाग करने से निकला हुआ शेषफल। भाग फल। ४. जिसने पाया या प्राप्त किया हो। यौ० के आरम्भ में। जैसे—लब्ध-काम, लब्ध कीर्ति आदि। पुं० दस प्रकार के दासों में से एक प्रकार का दास (स्मृति)। |
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समानार्थी शब्द-
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लब्ध-दक्ष :
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पुं० [ब० स०] जिसने किसी निशने पर वार किया हो। २. जिसे अभिप्रेत वस्तु प्राप्त हो गई हो। |
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लब्ध-प्रतिष्ठ :
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वि० [ब० स०] जिसने किसी कार्य या क्षेत्र में अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त की हो। प्रतिष्ठित। सम्मानित। |
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लब्ध-प्रशमन :
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पुं० [ष० त०] मिले हुए धन का सत्पात्र को दिया जानेवाला दान। (मनु०) |
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लब्ध-वर्ण :
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पुं० [सं] वह जिसने वर्णों (अक्षरों और शब्दों) का ज्ञान प्राप्त किया हो, अर्थात् पंडित। |
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लब्धव्य :
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वि० [सं√लभ् (प्राप्ति)+तव्य] प्राप्त किये जाने के योग्य। |
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लब्धा (व्धृ) :
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वि० [सं√लभ् (पाना)+तृच्] प्राप्त करनेवाला। स्त्री०=विप्रलब्धा (नायिका)। |
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लब्धांक :
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पुं० [लब्ध-अंक, कर्म० स०] भागफल। (दे०) |
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लब्धि :
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स्त्री० [सं√लभ् (पाना)+क्तिन्] १. लब्ध होने की अवस्था या भाव। प्राप्ति। २. भागफल। लब्धांक। |
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