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परिस्राव  : पुं० [सं० परि√स्रु+घञ्] १. चू या रसकर अधिक परिमाण में निकलनेवाला तरल पदार्थ। २. एक रोग जिसमें रोगी को ऐसे बहुत अधिक दस्त होते हैं जिनमें कफ और पित्त मिला होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्राव  : पुं० [सं० परि√स्रु+घञ्] १. चू या रसकर अधिक परिमाण में निकलनेवाला तरल पदार्थ। २. एक रोग जिसमें रोगी को ऐसे बहुत अधिक दस्त होते हैं जिनमें कफ और पित्त मिला होता है।
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परिस्रावण  : पुं० [सं० परि√स्रु+णिच्+ल्युट्—अन] वह पात्र जिसमें कोई चीज चुआ या रसाकर इकट्ठी की जाय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्रावण  : पुं० [सं० परि√स्रु+णिच्+ल्युट्—अन] वह पात्र जिसमें कोई चीज चुआ या रसाकर इकट्ठी की जाय।
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परिस्रावी (विन्)  : वि० [सं० परि√स्रु+णिनि] चूने, रसने या बहनेवाला। पुं० ऐसा भगंदर रोद जिसमें फोड़े में से बराबर गाढ़ा मवाद निकलता रहता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्रावी (विन्)  : वि० [सं० परि√स्रु+णिनि] चूने, रसने या बहनेवाला। पुं० ऐसा भगंदर रोद जिसमें फोड़े में से बराबर गाढ़ा मवाद निकलता रहता है।
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