शब्द का अर्थ
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धरना :
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स० [सं० धारण] १. कोई चीज इस प्रकार दृढ़ता से पकड़ना या हाथ में लेना कि वह जल्दी छूट न सके अथवा इधर-उधर न हो सके। पकड़ना। थामना। संयो० क्रि०—लेना। २. ग्रहण या धारण करना। ३. अधिकार या रक्षा में लेना। मुहा०—धर दबाना=(क) पकड़कर वश में कर लेना। आक्रांत करना। जैसे—बिल्ली ने कबूतर को धर दबाया। (ख) लाक्षणिक रूप में, वेगपूर्वक कोई ऐसी बात कहना जिससे विपक्षी दब जाए या चुप हो जाय। धर दबोचना=धर पकड़ना। पद—धर-पकड़कर=किसी की इच्छा न होते हुए भी उसके प्रति कुछ बल-प्रयोग करते हुए। जैसे—धर-पकड़कर मुझे भी लोग वहाँ ले ही गये। ४. किसी स्थान पर किसी चीज को रखना। जैसे—संदूक में कपड़े धरना। संयो० क्रि०—देना।—लेना। मुहा०— किसी चीज या बात का) धरा रह जाना=इस रूप में व्यर्थ पड़ा रहना कि समय पर काम न आ सके। जैसे—उनके सामने जाते ही आपकी सारी चालाकी (या बहादुरी) धरी रह जायगी। पद—धरा-ढका=समय पर काम करने के लिए बचाकर रखा हुआ। जैसे—ये सब कपड़े यों ही धरे ढके रहने दो; समय पर काम आवेंगे। ५. किसी के अधिकार में देना या किसी के पास रखना। जैसे—ये पुस्तकें किसी मित्र के पास धर दो। ६. निश्चित या स्थिर करना। जैसे—किसी काम के लिए कोई दिन धरना। ७. धारण करना। जैसे—बहरूपिए तरह-तरह के रूप धरते हैं। ८. पत्नी (या पति) के रूप में किसी को अपने यहाँ रखना। उदा०—ब्याहौ लाख, धरौ दस कुबरी, अंतहि कान्ह हमारो।—सूर। ९. कोई चीज गिरवी या रहन रखना। बंधक रखना। उदा०—वह अँगूठी धरकर रुपये ले आया है। १॰.. फैलने वाली वस्तु का किसी दूसरी वस्तु में लगना या उस पर प्रभाव डालना। जैसे—आग धरा। पुं० अपनी प्रार्थना या बात मनवाने, अपनी माँग पूरी करने या किसी को कोई अनुचित काम करने से रोकने के लिए उसके दरवाजे पर, पास या सामने तब तक अड़कर बैठे रहना, जब तक वह प्रार्थना या माँग पूरी न हो जाय अथवा वह अनुचित काम बंद न हो जाय। (पिकेटिंग) क्रि० प्र०—देना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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