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कौर  : पुं० [सं० कवल] १. हाथ की उँगलियों में लिया हुआ उतना भोजन जितना एक बार में मुँह में डाला जाय। ग्रास। निवाला। मुहावरा—(किसी के) मुँह का कौर छीनना=ऐसा हिस्सा छीनना जो अभी उसे मिल रहा हो। २. उतना अन्न जितना एक बार में चक्की में पीसने के लिए डाला जाता है। पुं० [?] एक प्रकार का पहाड़ी झाड़ या पौधा। स्त्री० [सं० कुमारी] कुमारी का वाचक और अपभ्रशं शब्द जो पंजाब, राजस्थान आदि में स्त्रियों के नाम में लगता है। जैसे—अमृतकौर, वेदकौर।
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कौरना  : सं० [हिं० कौड़ा] थोड़ा गरम करना या भुनना। सेंकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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कौरव  : वि० [सं० कु+अञ्] [स्त्री०कौरवी] कुरु संबंधी। पुं० राजा कुरु के वंशज या सन्तान।
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कौरव-पति  : पुं० [ष० त०] दुर्योधन।
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कौरवेय  : पुं० [सं० कुरु+ठक्-एय] कुरु का वंशज।
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कौरव्य  : पुं० [सं० कुरु+ण्य] १. प्राचीन भारत का एक नगर। २. राजा कुरु के वंशज। कौरव।
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कौरा  : पुं० [सं० कोल, क्रोड़] [स्त्री० कौरी] दरवाजे के इधर-उधर के वे भाग जिनसे खुले हुए किवाड़ों का पिछला भाग सटा रहता है। मुहावरा—कौरे लगना=(क) कोई बात चुपचाप सुनने या किसी की आहट के लिए द्वार के कोने में छिप कर खड़ा होना। (ख) किसी की घात में छिप कर रहना। (ग) रूठकर या मुँह फुलाकर दूर या अलग होना। पुं० [हिं० कौर=ग्रास] कुत्तों, अंत्यजों आदि को दिया जानेवाला भोजन का अंश। पुं० =कौड़ा।
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कौरी  : स्त्री० [सं० क्रोड़] १. अँकवार। गोद। मुहावरा—कौरी भरना या भरकर मिलना=आलिंगन करना। गले लगाना। २. अनाज की बालों आदि का वह पूला जो मजदूरों आदि को दिया जाता है। ३. एक प्रकार की मिठाई। उदाहरण—पेठा, पाक, जलेबी कौरी।—सूर। स्त्री०=कौड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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कौर्म  : वि० [सं० कूर्म+अण्] १. कूर्म-संबंधी। २. विष्णु के कूर्मावतार संबंधी। पुं० पुराणानुसार एक कल्प।
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