शब्द का अर्थ
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कोस :
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पुं० [सं० क्रोश] लगभग दो मील के बराबर की एक माप। पद—कोसों या काले कोसों=बहुत दूर। मुहावरा—(किसी से) कोसों दूर रहना=किसी से बिलकुल अलग या दूर रहना। पुं० [सं० कोष] १. तलवार की म्यान। २. चारों ओर ढकने वाला आवरण। ३. दे० ‘कोश’। |
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समानार्थी शब्द-
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कोसना :
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स० [सं० क्रोशष] जो दुखाये या सताये जाने पर किसी की अशुभ कामना करना। किसी को अपशब्द कहकर उसका बुरा मनाना। मुहावरा—पानी पीकर कोसना=बहुत अधिक कोसना। कोसना काटना=शाप और गालियाँ देना। |
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कोसभ :
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पुं० =कोसम। |
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कोसम :
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पुं० [सं० कोशाम्र] एक प्रकार का बड़ा वृक्ष। |
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कोसल :
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पुं० [सं०√कुस्+अलच्, गुण नि०]=कोशल। |
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कोसलधनी (राज) :
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पुं० =कोशलपति। |
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कोसला :
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स्त्री० [सं० कोशल+टाप्] कोशल देश की राजधानी, अयोध्या। |
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कोसला :
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स्त्री० [सं० कोसल+टाप्] कोसल की राजधानी अयोध्या। |
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कोसली :
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स्त्री० [सं० कोसल+ङीष्] पाड़व जाति की एक रागिनी, जिसमें ऋषभ वर्जित है। |
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कोसा :
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पुं० [हिं० कोश] मध्य प्रदेश में तैयार होनेवाला एक प्रकार का रेशम। पुं० [हिं० कोश] वह गाढ़ा रस जो चिकनी सुपारी बनाने के समय सुपारियों के उबालने पर निकलता है और जिसमें घटिया दरजे की सुपारियाँ रँगी और स्वादिष्ट बनाई जाती हैं। पुं०-१. =कसोरा। २. =कोश। |
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कोसाकाटी :
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स्त्री० [हिं० कोसना+काटना] किसी को कोसने, काटने की क्रिया या भाव। शाप के रूप में दी जानेवाली गालियाँ। |
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कोसिया :
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स्त्री० [हिं० कोसा] १. मिट्टी का छोटा कसोरा। २. तमोलियों की चूना रखने की कूड़ी। |
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कोसिला :
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स्त्री०=कौशल्या। स्त्री०=अयोध्या। (नगरी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कोसिली :
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स्त्री० [देश] पिराक या गुझिया नामक पकवान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कोसी :
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स्त्री० [सं० कौशिकी] बिहार प्रदेश की एक प्रसिद्ध नदी, जो नेपाल के पहाड़ो से निकलकर चंपारन के समीप गंगा में मिलती है। स्त्री० [सं० कोशिका] अनाज के वे दाने जो बाल या फली में लगे रह जाते हैं। गूड़ी चँचरी। |
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