शब्द का अर्थ
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अनम :
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वि० [सं० अनभ्र] १. न झुकनेवाला। अनभ्र। २. उद्वत। पुं० ब्राह्मण (जो दूसरों को नमस्कार न करे)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अनमद :
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वि० [हिं० अन+सं० मद] जिसे मद या घमंड न हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमन :
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वि० =अनमना। पुं० [न० त०] न झुकना। |
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अनमना :
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वि० [सं० अन्यमनस्क] [स्त्री० अनमनी] १. जिसका मन ठीक तरह से किसी काम में न लग रहा हो। अन्यमनस्क। २. बीमार। अस्वस्थ। |
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अनमनापन :
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पुं० [हिं० अनमना+पन(प्रत्यय)] १. अनमने होने की अवस्था या भाव। २. उदासी। खिन्नता। ३. बात-चीत में होने वाला रूखापन। |
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अनमाँगा :
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वि० [हिं० अन=नहीं+माँगना] बिना माँगा हुआ। अयाचित। |
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अनमायपा :
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वि० [हिं० अन=नहीं+मापना] जिसे मापा न गया हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमारग :
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पुं० [हिं० अन=बुरा+मारग] १. अनुचित या बुरा मार्ग। २. अनुचित या बुरा आचरण या व्यवहार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमारिका :
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स्त्री० [सं० अनगार+ठक्-इक, टाप्] १. अनगार (साधु या संन्यासी) होने की अवस्था या भाव। |
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अनमिख :
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क्रि० वि० [सं० अनिमेष] १. बिना पलक गिराये। एकटक। २. निरंतर। लगातार। |
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अनमित्र :
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वि० [सं० न-अमित्र, न० ब०] जिसका कोई अमित्र (विरोधी या शत्रु) न हो। पुं० वह अवस्था जिसमें कोई अमित्र (विरोधी या शत्रु) न हो। |
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अनमिल :
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वि० [हिं० अन=नहीं+मिल=मिलना] १. स्वभावतः जो किसी से मिल न सकता हो। २. बे-मेल। जिसका किसी से जोड़ या मेल न बैठता हो। ३. जिससे मेल-जोल न हो। ४. पराया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमिलत :
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वि० [हिं० अनमिल]=अनमिल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमिलता :
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वि० [हिं० अन=नहीं+मिलना] १. जो कहीं मिल ही न सकता हो। अप्राप्य। २. जो सहज में न मिलता हो। दुष्प्राप्य। ३. दे० ‘अनमेल’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमीलना :
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अ० [सं० उन्मीलन] १. (आँखे) खुलना। २. (कलियों आदि का) खिलना या विकसित होना। ३. प्रफुल्लित या प्रसन्न होना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमेल :
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वि० [हिं० अन+मेल] १. जिसका किसी से मेल या जोड़ न बैठे। बेजोड़। २. जिसमें मिलावट न हो। विशुद्ध। ३. जिसके मेल या बराबरी का और कोई न हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनमेली :
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स्त्री० [हिं० अन+मेल] १. एक प्रकार की असंगत और निरर्थक कविता जिसे ढकोसला भी कहते है। विशेष दे० ‘ढकोसला’। |
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अनमोल :
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वि० [हिं० अन+मोल] १. जिसका मूल्य इतना अधिक हो कि उसकी कल्पना न हो सके। २. बहुमूल्य। ३. सुन्दर। ४. उत्तम। क्रि० वि० बिना मोल लिये हुए। बिना दाम दिये। मुफ़्त में। |
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अनम्र :
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वि० [न० त०] १. जो झुका न हो। २. जो नम्र न हो। अविनीत। ३. उद्दंड। उद्धत। |
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