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अटृ  : पुं० [सं० हटृ=बाजार] हाट। बाजार। (हिं० ) पुं० [सं० √अटृ (अतिक्रन) +घञ्] १. बड़ा भवन। महल। २. मकान का सबसे ऊपरी भाग। अटारी। ३. धरहरा। बुर्ज। ४. खाद्य पदार्थ। ५. भात। ६. रेशमी वस्त्र। ७. वध। ८. किले का वह भाग जहाँ सेना रहती थी। वि० १. ऊँचा। २. बहुत अधिक। ३. शुष्क। सूखा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अटृ सटृ  : वि० [अनु०] १. ऊटपटाँग। २. निरर्थक। व्यर्थ। पुं० ऊल-जलूल या निरर्थक बात।
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अटृ हास्य  : पुं०=अटृहास।
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अटृक  : पुं० [सं० अटृ+कन्] ऊँचा और बड़ा मकान। अटारी।
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अटृन  : पुं० [सं० अटृ(बध) +ल्युट्-अन] १. एक प्रकार का हथियार जो पहिए के आकार का होता था। २. अपमान, उपेक्षा या बेइज्जती।
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अटृहास  : पुं० [सं० तृ० त०, प्रा० अटृ (ट्ठ) हास, अप-अटृहास] [वि० अटृहासक, अटृहासी] खूब जोर की हँसी। ठकाहा। (लाँफ्टर)
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