Sri RamCharitManas Tulsi Ramayan (Balkand) - Hindi book by - Goswami Tulsidas - श्रीरामचरितमानस अर्थात तुलसी रामायण (बालकाण्ड) - गोस्वामी तुलसीदास

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श्रीरामचरितमानस अर्थात तुलसी रामायण (बालकाण्ड)

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :0
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 9
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भारत की सर्वाधिक प्रचलित रामायण। प्रथम सोपान बालकाण्ड

रामरूप से जीवमात्र की वन्दना


जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि।
बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥७(ग)॥

जगत में जितने जड़ और चेतन जीव हैं, सब को राममय जानकर मैं उन सबके चरणकमलों की सदा दोनों हाथ जोड़कर वन्दना करता हूँ॥७(ग)॥

देव दनुज नर नाग खग प्रेत पितर गंधर्ब।
बंदउँ किंनर रजनिचर कृपा करहु अब सब।।७(घ)॥

देवता, दैत्य. मनुष्य, नाग, पक्षी, प्रेत, पितर, गन्धर्व, किन्नर और निशाचर सबको मैं प्रणाम करता हूँ। अब सब मुझपर कृपा कीजिये॥७(घ)॥

आकर चारि लाख चौरासी।
जाति जीव जल थल नभ बासी॥
सीय राममय सब जग जानी।
करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी।

चौरासी लाख योनियों में चार प्रकार के (स्वेदज, अण्डज, उद्भिज्ज, जरायुज) जीव जल, पृथ्वी और आकाश में रहते हैं. उन सबसे भरे हुए इस सारे जगत को श्रीसीताराममय जानकर मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ॥१॥

जानि कृपाकर किंकर मोहू।
सब मिलि करहु छाडि छल छोहू।
निज बुधि बल भरोस मोहि नाहीं।
तातें बिनय करउँ सब पाहीं॥

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