वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
उषा, सन्ध्या, चक्रवात, प्रकृति की विशाल और विराट् शक्तियाँ, उसका सौन्दर्य-इन सब ने मानव-मन के ऊपर ऐसा प्रभाव डाला कि वह इन सब के परे जाने की और उनको समझ सकने की आकांक्षा करने लगा। इस प्रयास में मनुष्य ने इन दृश्यों में आत्मा तथा शरीर की प्रतिष्ठा की उसने उनमें वैयक्तिक गुणों का आरोपण करना शुरू किया, जो कभी सुन्दर और कभी इन्द्रियातीत होते थे। उनको समझने के हर प्रयास में उन्हें व्यक्तिरूप दिया गया, या नहीं दिया गया, किन्तु उनका अन्त उनको अमूर्त कर देने में ही हुआ। ठीक ऐसी ही बात प्राचीन यूनानियों के सम्बन्ध में भी हुई, उनके तो सम्पूर्ण पुराणोपाख्यान अमूर्त प्रकृति-पूजा ही है, और ऐसा ही प्राचीन जर्मनी तथा स्कैन्डिनेविया के निवासियों एवं शेष सभी समुदायों के बारे में भी कहा जा सकता है। इस तरह प्रकृति की शक्तियों का मानवीकरण करने में धर्म का आदि स्रोत माननेवालों का भी पक्ष काफी प्रबल हो जाता है। (यहाँ तक कि आज के अधिकांश आधुनिक व्यक्ति अब भी इसी मानसिक अवस्था में रहते हैं, देवता और भगवान उनके लिए एक उत्कृष्ट मनुष्य की भाँति ही होते हैं)
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